वास्तु एक प्राचीन विज्ञान है, जो हमें बताता है कि घर, ऑफिस, व्यवसाय आदि में क्या होना चाहिए और क्या नहीं। आइए जानते हैं वास्तु की दिशा बताने के लिए कुछ वास्तु टिप्स
पूजा घर- इसे उत्तर पूर्व दिशा यानी उत्तर पूर्व कोण में बनाना सबसे अच्छा होता है। यदि इस दिशा में पूजा घर बनाना संभव न हो तो उत्तर दिशा में पूजा घर बना सकते हैं लेकिन ध्यान रहे कि उत्तर दिशा सबसे अच्छी होती है।
पूजा घर के ऊपर या ऊपर या नीचे शौचालय नहीं होना चाहिए।
* पूजा घर में मूर्ति स्थापित नहीं करनी चाहिए,क्योंकि पवित्र मूर्तियों की उतना ध्यान नहीं दिया जाएगा जितना होना चाहिए।
* इसलिए पूजा घर में केवल छोटी मूर्ति या फोटो ही लगाना चाहिए।
* सीढ़ियों के नीचे पूजा का घर नहीं होना चाहिए।
फटे फोटो या टूटी हुई मूर्ति पूजा घर में नहीं होनी चाहिए।
* पूजा घर और किचन या बेडरूम एक ही कमरे में नहीं होना चाहिए।
* मकान मालिक का कमरा दक्षिण पश्चिम दिशा में होना चाहिए। यदि यह दिशा संभव न हो तो उत्तर-पश्चिम दिशा दूसरा सर्वोत्तम विकल्प है।
* अतिथि कक्ष उत्तर पूर्व दिशा में होना चाहिए। यदि उत्तर पूर्व संभव नहीं है, तो उत्तर-पश्चिम दिशा दूसरा सबसे अच्छा विकल्प है।
* कोई भी शयनकक्ष उत्तर-पूर्व में नहीं होना चाहिए।
* दक्षिण-पूर्व दिशा रसोई के लिए सर्वोत्तम है।
*घर की सीढ़ियां सामने की ओर नहीं होनी चाहिए। और सीढ़ी ऐसी जगह होनी चाहिए कि घर में आने वाले व्यक्ति को दिखाई न दे।
* सीढ़ियों के पायदानों की संख्या विषम 21, 23, 25 आदि होनी चाहिए।
* अलमारी सीढ़ियों के नीचे नहीं रखनी चाहिए।
* उपयोगी वस्तुओं को सीढ़ियों के नीचे रख सकते हैं। और सीढ़ियों के नीचे रखा सामान अच्छी तरह से सुसज्जित होना चाहिए।
* घर में कोई भी रैक खुला नहीं होना चाहिए, उसमें बोल्ट लगे होने चाहिए।
*सीढ़ी पश्चिम दिशा में होनी चाहिए।
* घर के प्रवेश द्वार पर या स्वस्तिक बनाएं या उसकी थोड़ी बड़ी छवि स्थापित करें।
* जल से भरे कलश को पूजा घर या उत्तर-पूर्व दिशा में रखें।
* शयन कक्ष में भगवान या धार्मिक मान्यताओं से जुड़ी तस्वीरें नहीं लगानी चाहिए।