कहावत है कि जिंदा हाथी लाख का तो मरा हुआ हाथी सवा लाख का। ऐसा ही कुछ हो रहा है जनजाति जिला बांसवाड़ा में। जहां एक दुर्घटना में मरे हुए बकरे को लेकर दो परिवारों में 2 साल से वाद विवाद चला आ रहा है। जिसमें पीड़ित परिवार को जहां मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है वहीं उसको अब तक ₹50000 से भी अधिक का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है । जिसका बकरा मर गया वह परिवार आए दिन दूसरे परिवार के खिलाफ पुलिस में शिकायत से लेकर मारपीट तक करने पर आमादा है।
2 साल पहले मरे बकरे का विवाद दो परिवारों के बीच फिर बढ़ता जा रहा है। पीड़ित के घर में घुसकर पत्नी, बच्चों और माता-पिता से मारपीट की। थाने में पीड़ित परिवार ने आरोपियों पर मारपीट के आरोप लगाए थे। आरोपी पक्ष का कहना है कि बकरे को मारने के बाद पीड़ित ने झूठी शिकायत थाने में दर्ज कराई थी। इसके कारण कोर्ट कचहरी में उनके 50 हजार रुपए खर्च हो गए। घर में घुसकर हुई मारपीट के बाद पीड़ित परिवार ने गांव के पंचों की मदद ली। यहां आरोपी परिवार झूठी शिकायत से हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई मांग रहा है। मामला बांसवाड़ा के घाटोल थाने का है।
दो साल पहले मरे हुए बकरे को लेकर दो परिवारों में दो साल से चल रहा है वाद विवाद
जांच अधिकारी HC वीरभ्रद सिंह ने बताया कि एक दिन पहले ही मामला दर्ज हुआ है। मामले की जांच चल रही है। दोनों परिवारों के बीच किसी पुराने विवाद को लेकर मारपीट हुई है। इससे पहले बामनपाड़ा निवासी राजमल पांडोर ने इस संबंध में रिपोर्ट दी है। शिकायतकर्ता ने बताया कि 26 अक्टूबर को आरोपी विजयपाल पांडोर बाइक से निकलते समय उसे गालियां देकर निकला। बाद में परिवार के छह लोगों के साथ उसने घर पर धावा बोला। इसके बाद उससे, पिता नाकसी पांडोर, पत्नी कला देवी और पुत्री पायल से मारपीट की। समीपवर्ती रिश्तेदारों के शोर मचाने पर बदमाश वहां से भाग गए। मारपीट के बाद उन्होंने मामला गांव के पंचों के बीच रखा। वहां समझौता नहीं होने पर थाने पहुंचे हैं।
पीड़ित राजमल ने बताया कि दिसम्बर 2020 में आरोपी विजयपाल का बकरा किसी बीमारी से मर गया था। इसके बाद आरोपियों ने उसके बकरे को कुछ खिलाकर मारने के आरोप लगाए। तब भी आरोपियों ने उससे मारपीट की थी। तब तत्कालीन खमेरा थाने में उसने शिकायत दर्ज कराई थी। तबसे अब तक मामला शांत था, लेकिन एक बार फिर आरोपियों ने हमला कर दिया।